खुशी क्या है? सफलता? प्रेम? भौतिक लाभ? एक संयोग? ये मात्र अनुभूतियां हैं। प्रायः खुशी के प्रति अनुभूति होते ही वह दूर चली जाती है। यीशु सच्ची व गहरी खुशी व आशीष को परिभाषित करते हैं। वह बताते हैं कि आशीष निराश नहीं वरन जीवन रूपान्तरित करती है। वह निराशाओं और संकट में प्रकाशित होती है। वह हमारी व हमारे करीबियों की आत्मा को हर समय व परिस्थिति में उभारती है।
पौलुस तीमुथियुस से कहता है कि वह अपने और चर्च के भीतर आध्यात्मिक अनुशासन बनाए रखे और “फिट” रहे। आध्यात्मिक योग्यता: शुद्ध विवेक आध्यात्मिक दुर्बलता:...